Friday, 17 August 2018

"क्या तुम हो"

जो कुछ बूंदें छू के बह जाती है आंखों से,
तो लगता है तुम हो,
जो वक़्त पुरानी बदल जाती है यादों में,
तो लगता है तुम हो,
जो कह जाता हूँ लफ्ज़ हज़ारों नजरों से,
तो लगता है तुम हो,
जो बीत जाता हूँ ,सदियाँ बन लम्हों में,
तो लगता है तुम हो.।।

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कलयुग में भी मैंने भगवान देखा है