जो कुछ बूंदें छू के बह जाती है आंखों से,
तो लगता है तुम हो,
जो वक़्त पुरानी बदल जाती है यादों में,
तो लगता है तुम हो,
जो कह जाता हूँ लफ्ज़ हज़ारों नजरों से,
तो लगता है तुम हो,
जो बीत जाता हूँ ,सदियाँ बन लम्हों में,
तो लगता है तुम हो.।।
Friday, 17 August 2018
"क्या तुम हो"
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#तुम...

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आँखे जो निहारती थी कभी पूरे महकमे में हमें, शहरी धुंध में कहीं खो गई है, शहर से खरीद कर चुटकी भर नींद हमे ज़िंदा ऱख,खुद सो गई है ।।
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अभी तो शुरुआत है, बाँकी पूरी रात है..।🙏
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