आँखे जो निहारती थी कभी पूरे महकमे में हमें,
शहरी धुंध में कहीं खो गई है,
शहर से खरीद कर चुटकी भर नींद
हमे ज़िंदा ऱख,खुद सो गई है ।।
Thursday 16 August 2018
शहर के तुम...✍️
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#दूर_हो_तुम
Hi..I'm Ayansh ...Welcome ..waiting for something Which is definite to be happen.����🙏🔘
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"अल्लाह और राम"
कलयुग में भी मैंने भगवान देखा है
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आँखे जो निहारती थी कभी पूरे महकमे में हमें, शहरी धुंध में कहीं खो गई है, शहर से खरीद कर चुटकी भर नींद हमे ज़िंदा ऱख,खुद सो गई है ।।
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जो कुछ बूंदें छू के बह जाती है आंखों से, तो लगता है तुम हो, जो वक़्त पुरानी बदल जाती है यादों में, तो लगता है तुम हो, जो कह जाता हूँ लफ्...
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