Exploring silence...
मैं इश्क़ का खिलौना था कोई, उसे खिलौने पसन्द भी खूब थे,
आंखे जब बंद हुई मेरी, खिलौने टूट गए मेहबूब के... ।
कलयुग में भी मैंने भगवान देखा है
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