Thursday 16 August 2018

एक फज़र से शाम तक...✍️

वो फज़र तक मेरी परछाई बन साथ रहती थी,
फिर अचानक भूल जाती थी
कोई गुज़रा शाम समझ के,
याद करने का एहशान भले कर देती थी मुझपे वो
पर सिर्फ और सिर्फ एक नाम समझ के...।।

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"अल्लाह और राम"

कलयुग में भी मैंने भगवान देखा है